Top 5 Places to Visit in Prayagraj: अगर नहीं देखी प्रयागराज की 5 जगह तो अधूरा रह जाएगा महाकुंभ, तस्सली से घूमकर ही लौटें घर

Top 5 Places to Visit in Prayagraj: अगर नहीं देखी प्रयागराज की 5 जगह तो अधूरा रह जाएगा महाकुंभ, तस्सली से घूमकर ही लौटें घर

अगर आप महाकुंभ मेले में शामिल होने के लिए प्रयागराज आ रहे हैं, तो हम आपको इस शहर की 5 प्रमुख जगहों के बारे में बताएंगे, जिन्हें आप महाकुंभ मेले के दौरान घूम सकते हैं। इनमें कई प्राचीन मंदिर भी शामिल हैं। आइए इनके नाम जानते हैं।

Prayagraj Me Ghumne Ki Jagah :- उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी, 2025 तक महाकुंभ मेला आयोजित किया जा रहा है, जहां हर साल देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु संगम तट पर आस्था की डुबकी लगाने पहुंचते हैं। बता दें कि यह पवित्र मेला 12 साल में एक बार आयोजित होता है। इस बार 41 से अधिक देशों से पर्यटकों के आने की उम्मीद है। अगर आप भी इस महाकुंभ मेले का हिस्सा बनने प्रयागराज आ रहे हैं, तो यह जानना रोचक होगा कि यह शहर अपने समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए भी प्रसिद्ध है।

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प्रयागराज एक ऐतिहासिक नगर है, जिसे महाकुंभ के साथ-साथ अपने अनमोल ऐतिहासिक स्थलों के लिए भी जाना जाता है। यहां आने वाले हर व्यक्ति को इस शहर के गौरवशाली इतिहास को जानने और महसूस करने का अवसर मिलता है।

अशोक स्तंभ

प्रयागराज किले के पास स्थित अशोक स्तंभ एक प्राचीन और ऐतिहासिक धरोहर है, जिसका निर्माण सम्राट अशोक ने 249 ईसा पूर्व में करवाया था। यह स्तंभ प्राचीन शिलालेखों से सुसज्जित है, जो इतिहास और संस्कृति के प्रति रुचि रखने वालों के लिए अत्यंत आकर्षक है। देश और विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक इसे देखने आते हैं। अगर आप आध्यात्मिकता के साथ इतिहास में भी दिलचस्पी रखते हैं, तो यह स्थान आपके लिए अवश्य देखने लायक है।

हनुमान मंदिर

प्रयागराज में भगवान हनुमान का एक प्राचीन मंदिर स्थित है, जिसके बारे में अनेक मान्यताएं प्रचलित हैं। यहां दर्शन के लिए आने वाले भक्तों का कहना है कि संगम का पूरा पुण्य तभी पूर्ण होता है जब इस मंदिर में हनुमान जी के दर्शन किए जाएं। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर लगभग 700 वर्षों पुराना है।

पुरानी कथाओं के अनुसार, कहा जाता है कि कन्नौज के राजा इस मूर्ति को विंध्याचल से गंगा नदी के माध्यम से नाव द्वारा अपने राज्य में ले जा रहे थे। यात्रा के दौरान, वे रात्रि विश्राम के लिए प्रयाग में रुके। उसी रात उनकी नाव टूट गई, और मूर्ति नदी में डूब गई। राजा परेशान होकर खाली हाथ अपने राज्य लौट गए।

कई वर्षों के बाद, श्री बालगिरि जी महाराज को अपनी धूनी (पूजा के लिए पवित्र स्थल) की खुदाई के दौरान रेत के नीचे यह मूर्ति प्राप्त हुई। उन्होंने इस मूर्ति की पूजा करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे यह स्थान प्रसिद्ध हो गया, और दूर-दूर से लोग यहां पूजा करने के लिए आने लगे।

स्वराज भवन

स्वराज भवन, प्रयागराज का एक ऐतिहासिक भवन और संग्रहालय है। इसे पहले ‘आनंद भवन’ के नाम से जाना जाता था। इस भवन का निर्माण मोतीलाल नेहरू ने करवाया था, जो नेहरू परिवार का पैतृक निवास था। यह वही स्थान है जहां प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का जन्म हुआ था। 1920 के दशक में, मोतीलाल नेहरू ने इस घर को नेहरू परिवार को दान कर दिया था।

चंद्रशेखर आजाद पार्क

चंद्रशेखर आजाद को समर्पित यह पार्क उनकी वीरता और बलिदान की याद दिलाता है। यह वही ऐतिहासिक स्थान है, जहां 1931 में अंग्रेजों के साथ हुई भीषण मुठभेड़ में आजाद ने अपनी जान न्योछावर कर दी। उनकी मृत्यु 27 फरवरी 1931 को मात्र 24 वर्ष की उम्र में हुई थी। यह पार्क 133 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है और परिवार व दोस्तों के साथ समय बिताने के लिए उपयुक्त स्थान है।

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मनकामेश्वर मंदिर

भगवान शिव की परिक्रमा और आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रमुख केंद्र, मनकामेश्वर मंदिर संगम के पास स्थित है। यह मंदिर भक्तों को ध्यान और शांति का अनुभव करने में मदद करता है। कुंभ मेले के दौरान यह स्थान एक शांत और सुकून भरा वातावरण प्रदान करता है, जो भक्तों के लिए एक विश्राम स्थल के रूप में कार्य करता है।

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