Chhath Puja 2024 History: छठ पूजा का इतिहास, जानें कैसे हुई छठ पूजा की शुरुआत, छठ पूजा कब मनाया जाता है

Chhath Puja 2024 History
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छठ पूजा हिन्दू धर्म में गहरी आस्था और भक्ति से जुड़ा चार दिवसीय पर्व है, जो कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी तिथि पर मनाया जाता है। इस पूजा का संबंध पौराणिक कथाओं से है, जिनमें राजा प्रियव्रत और उनकी संतान प्राप्ति की कहानी प्रमुख है।

राजा प्रियव्रत के घर में मृत संतान का हुआ जन्म

राजा प्रियव्रत के पास कोई संतान नहीं थी, जिससे वे बहुत दुखी थे। उन्होंने महर्षि कश्यप से सहायता मांगी, जिन्होंने उन्हें पुत्रेष्टि यज्ञ करने का सुझाव दिया। यज्ञ की आहुति के दौरान प्राप्त खीर रानी मालिनी ने ग्रहण की, जिससे वह गर्भवती हुईं और एक पुत्र को जन्म दिया। लेकिन दुर्भाग्यवश, बच्चा मृत पैदा हुआ। राजा और रानी दोनों इस घटना से बेहद दुखी थे।

देवी पष्ठी की कृपा से प्राप्त हुआ पुत्र

राजा प्रियव्रत अपने मृत पुत्र के साथ श्मशान घाट पहुंचे और वहां अपने प्राण त्यागने ही वाले थे कि अचानक देवी षष्ठी प्रकट हुईं। उन्होंने राजा को बताया कि वे सृष्टि की छठी शक्ति से उत्पन्न हुई हैं और उनका नाम षष्ठी है। देवी षष्ठी ने राजा से कहा कि यदि वे उनकी विधि-विधान से पूजा करें, तो उनके मृत पुत्र को जीवन प्राप्त हो सकता है।

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को रखा जाने लगा व्रत

राजा ने देवी षष्ठी की आज्ञा का पालन किया और कार्तिक मास की षष्ठी तिथि को व्रत रखा। देवी की कृपा से उनके मृत पुत्र में जान वापस आ गई, और यह चमत्कार देखकर नगरवासी भी देवी षष्ठी की पूजा करने लगे। तभी से यह परंपरा बन गई और हर साल कार्तिक मास की शुक्ल षष्ठी पर छठ पूजा मनाई जाने लगी।

त्रेतायुग में माता सीता और द्वापर युग में द्रौपदी ने भी रखा था छठ का व्रत

इसके अलावा, रामायण और महाभारत में भी इस व्रत का वर्णन मिलता है। रामायण की कथा के अनुसार, रावण का वध करने के बाद राम जी, सीता जी और लक्ष्मण जी के साथ अयोध्या लौटे। अयोध्या लौटने के बाद माता सीता ने कुल की सुख-शांति और समृद्धि के लिए कार्तिक शुक्ल षष्ठी पर छठ का व्रत किया। इसी तरह, महाभारत में वर्णित है कि द्वापर युग में द्रौपदी ने अपने पतियों की रक्षा और खोया हुआ राजपाट वापस पाने के लिए षष्ठी देवी और सूर्यदेव का व्रत किया था।

छठ पूजा कब मनाया जाता है ?

छठ पूजा का आयोजन दिवाली के छह दिनों बाद शुरू होता है। इस साल 2024 में यह पर्व 5 नवम्बर से नहाय-खाय के साथ प्रारंभ होगा और 8 नवम्बर को सुबह के अर्घ्य के साथ समाप्त होगा। इस चार दिवसीय पर्व में पहला दिन नहाय-खाय, दूसरा दिन खरना, तीसरा दिन संध्या अर्घ्य और चौथा दिन प्रातःकालीन अर्घ्य के रूप में मनाया जाता है। इस पूजा में महिलाएं और पुरुष व्रत रखते हैं और सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पण करते हैं।

छठ पूजा मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल में अत्यधिक श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जाती है। इस पर्व में भक्तगण पानी में खड़े होकर सूर्यदेव को अर्घ्य देते हैं और उनकी कृपा से परिवार में सुख-समृद्धि, संतान की प्राप्ति और आरोग्य की कामना करते हैं।

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