गीता महोत्सव में शामिल होने जा रहे लोग घूम आएं कुरुक्षेत्र के ये 3 मंदिर, नहीं तो अधूरा होगा ट्रिप

Gita Mahotsav 2024

महाभारत युद्ध के पहले और बाद में पांडवों ने कई मंदिरों की स्थापना की, जो आज ऐतिहासिक महत्व रखते हैं। इनमें से एक मंदिर ऐसा भी है, जिसे 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है।

गीता महोत्सव की शुरुआत 28 नवंबर से होगी और यह 15 दिसंबर तक चलेगा। इस दौरान 11 दिसंबर 2024 को एकादशी पर दीपदान के साथ गीता जयंती मनाई जाएगी। महोत्सव की तैयारियां कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड ने लगभग पूरी कर ली हैं, और इसे लेकर लोगों में उत्साह भी दिखाई दे रहा है।

अगर आप इस बार गीता महोत्सव देखने कुरुक्षेत्र जा रहे हैं, तो वहां के प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन करना न भूलें। इन मंदिरों का दर्शन आपकी यात्रा को और खास बना देगा। आज हम आपको कुरुक्षेत्र के कुछ मुख्य मंदिरों के बारे में बताएंगे, जिन्हें देखे बिना आपकी यात्रा अधूरी मानी जाएगी।

स्थानेश्वर महादेव मंदिर, कुरुक्षेत्र

Sthaneshwar Mahadev Temple, Kurukshetra
Sthaneshwar Mahadev Temple, Kurukshetra

हरियाणा के कुरुक्षेत्र में स्थित स्थानेश्वर महादेव मंदिर एक ऐसा स्थान है, जहां जाने के बाद हर कोई इसकी सुंदरता से प्रभावित होता है। यह मंदिर एक पवित्र जलाशय के बीच स्थित है, जहां भगवान शिव की उपासना शिवलिंग रूप में होती है। यह स्थान महादेव के अनन्य भक्तों और प्रकृति प्रेमियों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है। मंदिर के बारे में मान्यता है कि यह विश्व का पहला स्थान है जहां शिवलिंग की पूजा शुरू हुई थी। हालांकि, इसके ऐतिहासिक प्रमाण नहीं हैं, लेकिन धार्मिक दृष्टिकोण से इसे बहुत महत्व दिया जाता है।

यदि आप सप्ताह के सामान्य दिनों में यहां आते हैं, तो आपको ज्यादा भीड़-भाड़ नहीं मिलेगी, जिससे आप शांति और आध्यात्मिक अनुभव का आनंद ले सकते हैं। मंदिर की प्राकृतिक सुंदरता और इसकी वास्तुकला इसे कुरुक्षेत्र के सबसे खास धार्मिक स्थलों में से एक बनाती है।

स्थान: थानेसर शहर, कुरुक्षेत्र, हरियाणा
समय: सुबह 4 बजे से रात 9 बजे तक

भद्रकाली मंदिर, कुरुक्षेत्र

Bhadrakali Mandir, Kurukshetra
Bhadrakali Mandir, Kurukshetra

भद्रकाली मंदिर, जिसे सावित्री पीठ के नाम से भी जाना जाता है, देवी काली को समर्पित है। यह मंदिर कुरुक्षेत्र के सबसे महत्वपूर्ण और दर्शनीय मंदिरों में से एक है। मंदिर में प्रवेश करते ही एक बड़े कमल के फूल की आकृति देखने को मिलती है, जो इसकी वास्तुकला को और भी आकर्षक बनाती है।

यह मंदिर भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है और इसे धार्मिक दृष्टि से विशेष स्थान प्राप्त है। ऐसा माना जाता है कि यहां माता सती का दायां टखना गिरा था, जिससे यह स्थान देवी की उपासना के लिए अत्यधिक पवित्र बन गया। मंदिर में देवी काली के स्वरूप की पूजा की जाती है और यह स्थान भक्तों के लिए आस्था और श्रद्धा का केंद्र है।

स्थान: झांसा रोड, जिंदल पार्क के सामने, थानेसर, कुरुक्षेत्र, हरियाणा
समय: सुबह 6 बजे से रात 8 बजे तक

बाला सुंदरी मंदिर, हथीरा

Bala Sundari Temple, Hathira
Bala Sundari Temple, Hathira

कुरुक्षेत्र के पास स्थित बाला सुंदरी मंदिर अपनी सुनहरी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। इसकी बाहरी दीवारों को सुनहरे रंग से सजाया गया है, जो इसे बेहद आकर्षक और अनोखा बनाती हैं। मान्यता है कि पांडवों ने अपनी कुलदेवी माता बाला सुंदरी की पिंडी (मूर्ति) स्वरूप में यहां स्थापित किया था।

यदि आप कुरुक्षेत्र के गीता महोत्सव में भाग लेने जा रहे हैं, तो इस मंदिर का दर्शन अवश्य करें। मंदिर की खूबसूरती और धार्मिक महत्व इसे विशेष बनाते हैं। यहां आकर आपको अपनी यात्रा अधूरी नहीं लगेगी।

स्थान: हथीरा रोड, प्लॉट नंबर 72, हथीरा, हरियाणा
समय: प्रातः 4 बजे से रात्रि 8:30 बजे तक

कुरुक्षेत्र न केवल महाभारत की भूमि है, बल्कि यहां के धार्मिक स्थल भी इसकी गरिमा बढ़ाते हैं। स्थानेश्वर महादेव मंदिर, भद्रकाली मंदिर, और बाला सुंदरी मंदिर जैसे स्थल आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इन तीनों मंदिरों की भव्यता और पौराणिक महत्व आपको अपनी यात्रा को यादगार बनाने का अवसर प्रदान करते हैं।

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