Guru Nanak Jayanti 2024: ये हैं भारत में 5 सबसे प्रसिद्ध गुरुद्वारे, धार्मिक महत्व के साथ-साथ समृद्ध है इनका इतिहास

Guru Nanak Jayanti 2024

गुरु नानक देव जी को सिख धर्म के अनुयायियों का पूजनीय माना जाता है। उन्हें सिख धर्म के पहले गुरु और सिख धर्म के मुख्य धार्मिक सिद्धांतों के संस्थापक के रूप में सम्मानित किया जाता है। यह एक ऐसा पर्व है, जिसे केवल सिख ही नहीं, बल्कि अन्य धर्मों के लोग भी बड़े ही श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाते हैं। इस दिन लोग गुरुद्वारों में जाकर मत्था टेकते हैं। लेकिन कई लोग हैं, जो आज भी भारत के प्रमुख गुरुद्वारों के बारे में जानकारी नहीं रखते। ऐसे लोगों के लिए हमने यह विशेष आर्टिकल तैयार किया है। इस लेख में आपको एक ही जगह पर 10 प्रमुख गुरुद्वारों की लोकेशन के साथ-साथ उनके इतिहास के बारे में भी जानने का अवसर मिलेगा।

बंगला साहिब गुरुद्वारा

Bangla Sahib Gurudwara
Bangla Sahib Gurudwara

दिल्ली का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है और यह गोल्डन टेंपल के बाद सबसे प्रसिद्ध गुरुद्वारों में से एक माना जाता है। यह केवल सिख धर्म के लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि सभी धर्मों के श्रद्धालुओं के लिए भी खुला है, जो यहां शांति और भक्ति की अनुभूति के लिए आते हैं। राजधानी दिल्ली में स्थित यह गुरुद्वारा अपने 24 घंटे खुले रहने वाले लंगर (भोजन सेवा) के लिए जाना जाता है, जिसमें सभी लोगों को मुफ्त भोजन मिलता है।

इसकी स्थापना सन् 1783 में सिख जनरल सरदार भगेल सिंह द्वारा की गई थी। ऐसा कहा जाता है कि पहले यह स्थान राजा जय सिंह का बंगला था, जिसे बाद में एक गुरुद्वारे के रूप में बदल दिया गया। आज यह दिल्ली का सबसे लोकप्रिय गुरुद्वारों में से एक है, जहां बड़ी संख्या में लोग आते हैं।

गोल्डन टेंपल

golden temple
golden temple

जब भी देश के सबसे प्रसिद्ध और खास गुरुद्वारों की बात होती है, तो सबसे पहले अमृतसर के गोल्डन टेंपल का नाम लिया जाता है। इसे श्री हरमंदिर साहिब के नाम से भी जाना जाता है। गोल्डन टेंपल सिख धर्म का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है और इसे भारत के सबसे धनी मंदिरों में भी गिना जाता है। इस मंदिर का सौंदर्य और आध्यात्मिकता हर किसी को अपनी ओर खींचती है।

यहां पर विश्व की सबसे बड़ी लंगर सेवा होती है, जिसमें प्रतिदिन लाखों श्रद्धालुओं को भोजन कराया जाता है, बिना किसी भेदभाव के। यहां आने वाले भक्तों के लिए यह सेवा एक अनोखा अनुभव होती है, जो निस्वार्थ सेवा और भाईचारे का प्रतीक है।

गोल्डन टेंपल की नींव चौथे सिख गुरु, गुरु रामदास जी ने 1577 में रखी थी। यह अमृतसर शहर के मध्य में स्थित है और यहां पहुंचने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं, ताकि वे इसके दर्शन कर सकें और इसकी पवित्रता का अनुभव कर सकें।

गुरुद्वारा मटन साहिब

Gurdwara Matan Sahib
Gurdwara Matan Sahib

गुरुद्वारा मटन साहिब एक ऐसा पवित्र स्थल है, जिसकी प्राकृतिक सुंदरता हर किसी का मन मोह लेती है और यहां आने के लिए प्रेरित करती है। यह माना जाता है कि 1517 में गुरु नानक देव जी इस स्थान पर आए थे और उन्होंने यहां गुरमत और सिख धर्म का प्रचार किया। पहले इस स्थान को लोग गुरु नानक देव जी के थड़े के नाम से जानते थे, लेकिन समय के साथ यहां एक भव्य गुरुद्वारे का निर्माण किया गया, जो आज मटन साहिब गुरुद्वारा कहलाता है।

इतिहास की बात करें तो गुरु नानक देव जी ने अपनी तीसरी उदासी (धार्मिक यात्रा) के दौरान इस पवित्र स्थान पर प्रवचन दिए थे। कहा जाता है कि वे यहां एक प्राकृतिक झरने के पास रुके थे, जहां उन्होंने लोगों को सिख धर्म की शिक्षाएं दीं। इस पवित्र स्थल की महत्ता और सुंदरता आज भी यहां आने वाले भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करती है। मटन साहिब गुरुद्वारा जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में स्थित है और यह स्थान सिख धर्म के अनुयायियों के लिए विशेष महत्व रखता है।

नानक झीरा साहिब

Nanak Jhira Sahib
Nanak Jhira Sahib

नानक झीरा साहिब गुरुद्वारा कर्नाटक राज्य में स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह गुरुद्वारा न्यू बस स्टैंड से केवल 10 मिनट की पैदल दूरी पर है, जिससे यहाँ पहुंचना बहुत ही आसान है। यदि आप रेलवे स्टेशन पर हैं, तो न्यू बस स्टैंड तक पहुँचने के लिए मात्र 5 रुपये में सिटी बस की सुविधा उपलब्ध है।

इस गुरुद्वारे का निर्माण वर्ष 1948 में हुआ था। इसका ऐतिहासिक महत्व है, क्योंकि इसे सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी की स्मृति में बनाया गया है। ऐसा माना जाता है कि गुरु नानक जी ने यहाँ की धरती पर कदम रखा था और यहाँ की सूखी भूमि में पानी की धारा उत्पन्न की थी, जो आज भी निरंतर बह रही है। इस जल को झीरा कहते हैं, जो गुरुद्वारे के नाम में भी शामिल है।

गुरुद्वारा नानक झीरा साहिब कर्नाटक के साथ-साथ पूरे देश के श्रद्धालुओं के लिए विशेष आस्था का केंद्र है।

तख्त सचखंड गुरुद्वारा

Takht Sachkhand Gurudwara
Takht Sachkhand Gurudwara

तख्त सचखंड गुरुद्वारा भारत के सबसे प्रसिद्ध गुरुद्वारों में से एक है। यह सिख धर्म के पाँच पवित्र तख्त साहिबों में से एक है, जो इसे एक विशेष धार्मिक महत्व देता है। इस गुरुद्वारे का वातावरण अत्यंत शांतिपूर्ण है और इसकी अद्भुत वास्तुकला और सुंदरता इसे और भी खास बना देती है। यह स्थान परिवार के साथ समय बिताने और आस्था को मजबूत करने के लिए बहुत ही अच्छा है।

इसका ऐतिहासिक महत्व भी बहुत बड़ा है। ऐसा माना जाता है कि सन् 1708 में, सिखों के दसवें और अंतिम गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी ने यहीं पर अपनी अंतिम सांस ली थी। उनके प्रिय घोड़े दिलबाग भी उस समय उनके साथ थे। यह गुरुद्वारा नांदेड़ नगर में स्थित है, जो महाराष्ट्र राज्य का एक प्रमुख शहर है। यह पवित्र स्थान गोदावरी नदी के किनारे पर बसा है, जो इसकी धार्मिक और प्राकृतिक सुंदरता को और बढ़ाता है।

Join WhatsApp

Join Now

Leave a Comment