दिल्ली से मथुरा-वृंदावन की यात्रा अगर आप कम बजट में प्लान करना चाहते हैं, तो यह गाइड आपके लिए परफेक्ट है। सिर्फ 3 हजार रुपये में आप इन पवित्र शहरों के धार्मिक स्थलों की यात्रा करने के साथ-साथ उनकी खूबसूरती का आनंद भी उठा सकते हैं।
दिल्ली में रहने वाले अक्सर एक-दो दिन की छुट्टी लेकर मथुरा-वृंदावन जाने का प्लान बनाते हैं। इस यात्रा की खास बात यह है कि दिल्ली से मथुरा पहुंचने में ज्यादा समय नहीं लगता और दो दिन में इन शहरों को अच्छे से घूमा जा सकता है।
हालांकि, पहली बार किसी नई जगह जाने पर कई सवाल मन में आते हैं। यात्रा के दौरान रहना, खाना-पीना और आवाजाही जैसी चीजों की जानकारी न होने के कारण लोग अक्सर ऐसी यात्राएं टाल देते हैं।
अगर आप भी मथुरा-वृंदावन जाने की योजना बना रहे हैं, तो मैं आपके लिए जरूरी जानकारी लेकर आई हूं। कुछ समय पहले मैंने अपनी मम्मी के साथ इन शहरों की यात्रा की थी। हमने कोई बड़ा बजट नहीं बनाया था, लेकिन हमारी कोशिश थी कि कम से कम खर्च में हम इस यात्रा का भरपूर आनंद उठा सकें।
आपको जानकर हैरानी होगी कि हमने दो दिन की इस यात्रा को दो लोगों के लिए सिर्फ 3000 रुपये में पूरा किया। यह न केवल एक आध्यात्मिक अनुभव था, बल्कि एक किफायती और व्यवस्थित यात्रा भी। अगर आप भी दिल्ली से मथुरा-वृंदावन की कम बजट में यात्रा प्लान करना चाहते हैं, तो मेरा अनुभव और यह यात्रा मार्गदर्शिका आपके लिए बेहद मददगार साबित होगी।
यात्रा की शुरुआत: दिल्ली से मथुरा तक
हमने अपनी यात्रा की शुरुआत सुबह जल्दी की। मैंने दिल्ली से मथुरा के लिए ट्रेन पकड़ी। सामान्य श्रेणी का टिकट मात्र 120 रुपये में मिल गया था। यदि आप एसी का आराम लेना चाहते हैं, तो टिकट लगभग 300 रुपये का होगा।
सुबह लगभग 9 बजे हम मथुरा जंक्शन पहुंचे। स्टेशन से बाहर निकलते ही कई ऑटो और रिक्शा उपलब्ध थे। स्टेशन से हमारा होटल करीब 2 किलोमीटर की दूरी पर था। केवल 20 रुपये में हम अपने होटल तक पहुंच गए। मथुरा में ठहरने के लिए मैंने पहले ही एक बजट होटल बुक कर लिया था।
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हमारा होटल श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पास स्थित था और इस क्षेत्र में कई गेस्ट हाउस और होटल मौजूद हैं। एक रात के लिए हमारे कमरे का किराया 700 रुपये था। यदि आप ऑफ-सीजन में यात्रा करते हैं, तो गेस्ट हाउस 500-600 रुपये में भी मिल सकते हैं।
पहला दिन: मथुरा दर्शन
नाश्ता और द्वारकाधीश मंदिर
होटल में चेक-इन के बाद हमने मथुरा के प्रसिद्ध नाश्ते का आनंद लिया। स्थानीय बाजार में हमने कचौड़ी और जलेबी खाई, जिसका खर्च केवल 50 रुपये था। इसके बाद हम द्वारकाधीश मंदिर और विश्राम घाट की ओर निकल पड़े।
द्वारकाधीश मंदिर के लिए हमें आसानी से रिक्शा मिल गया, जिसकी सवारी मात्र 20 रुपये में हो गई। मंदिर अपनी भव्यता और शिल्पकला के लिए जाना जाता है। वहां दर्शन करने के बाद, मंदिर से 20-25 मीटर की दूरी पर स्थित विश्राम घाट गए। यमुना नदी के किनारे कुछ समय बिताया और फिर श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर की ओर बढ़े।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर
यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थान पर स्थित है और यहां की शांति और भक्ति का अनुभव अद्भुत था। मंदिर में प्रवेश नि:शुल्क है। मुख्य द्वार पर बैग और मोबाइल जमा कराना पड़ता है। मंदिर के भीतर झांकी दर्शन के लिए 20 रुपये का टिकट लेना होता है। पूरे मंदिर का दर्शन करने में लगभग दो घंटे लगे।
दोपहर का भोजन
दोपहर में हमने एक स्थानीय ढाबे में स्वादिष्ट शुद्ध शाकाहारी भोजन किया। दो लोगों का खर्च केवल 200 रुपये आया। मथुरा में ऐसे कई ढाबे हैं जहां सस्ता और स्वादिष्ट भोजन मिलता है।
शाम को मथुरा बाजार के दर्शन
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर के पास के इलाकों में शाम को हमने बाजार की सैर की। पैदल चलकर लगभग 2 किलोमीटर के दायरे में विभिन्न दुकानों और बाजारों को देखा। वहीं हमने कचौड़ी और पूड़ी खाकर रात का भोजन किया।
अगले दिन हमें वृंदावन की ओर प्रस्थान करना है ।
वृंदावन पहुंचना और नाश्ता
सुबह जल्दी उठकर हम मथुरा से वृंदावन के लिए रवाना हुए। हमारी यात्रा लोकल बस से हुई, जो हमारे होटल से थोड़ी ही दूरी पर स्थित बस स्टैंड से मिली। वृंदावन तक का किराया मात्र 50 रुपये था। हमने पहले से वहां कोई होटल बुक नहीं किया था, लेकिन रमन रेती के पास ठहरने का विचार किया था।
बस से उतरने के बाद हमने कुछ होटल देखे और एक साफ-सुथरा तथा आरामदायक होटल मात्र 1200 रुपये में बुक कर लिया। खास बात यह थी कि होटल में एक टाइम का भोजन और चाय कॉम्प्लिमेंट्री थी। यहां से सभी प्रमुख मंदिर पास ही थे।
बांके बिहारी मंदिर
सबसे पहले हमने वृंदावन के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर के दर्शन किए। यह मंदिर भगवान कृष्ण की आराधना के लिए प्रसिद्ध है और इसका वातावरण भक्तिभाव से सराबोर था। मंदिर में दर्शन के लिए कोई शुल्क नहीं था। रमन रेती से हमें शेयर्ड रिक्शा द्वारा मात्र 10 रुपये में मंदिर तक पहुंचाया गया।
मंदिर तक पहुंचने के लिए पैदल यात्रा करनी पड़ती है। बांके बिहारी मंदिर के आसपास अन्य कई प्रमुख मंदिर स्थित हैं। मंदिर में दर्शन के बाद, पास ही लगे लंगर में हमने प्रसाद ग्रहण किया।
इस्कॉन मंदिर और निधिवन
भोजन के बाद हमने इस्कॉन मंदिर का भ्रमण किया। बांके बिहारी मंदिर से इस्कॉन मंदिर तक आप पैदल भी जा सकते हैं या 10 रुपये में रिक्शा ले सकते हैं। हमने पूरी यात्रा पैदल ही तय की। यहां का कीर्तन और शांत वातावरण सचमुच मनमोहक था। इसके बाद, हम दोपहर में आराम करने के लिए अपने होटल लौट गए।
शाम 4 बजे हम निधिवन के लिए निकले। 10-10 रुपये में शेयर्ड रिक्शा लेकर हम निधिवन के पास पहुंचे। निधिवन अपनी रहस्यमय कहानियों के लिए प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि यहां भगवान कृष्ण और राधा रानी रासलीला करते हैं। यहां राधारानी के दर्शन किए जा सकते हैं। निधिवन के पास ही श्री राधा-रमण मंदिर स्थित है। निधिवन से निकलने के बाद हमने राधा-रमण मंदिर के दर्शन किए।
प्रेम मंदिर
इसके बाद हमने प्रेम मंदिर का भ्रमण किया। यह मंदिर अपनी भव्यता और अद्भुत लाइट शो के लिए प्रसिद्ध है। शाम के समय इसका दृश्य बेहद आकर्षक लगता है। प्रेम मंदिर में प्रवेश निःशुल्क है। मंदिर से बाहर निकलते ही आपको ढाबों की कतार दिखाई देगी। हमने यहां समोसे और चाय का आनंद लेते हुए शाम का नाश्ता किया।
होटल वापसी
वृंदावन की यात्रा समाप्त होने के बाद हम होटल लौट आए। यहां हमने रात का भोजन किया और फिर सुबह जयपुर के लिए प्रस्थान किया। वृंदावन में सभी मंदिर और घूमने के स्थान एक-दूसरे के पास स्थित हैं, जिससे यात्रा का खर्चा काफी कम हो जाता है।
यात्रा का खर्चा
- ट्रेन टिकट (आने-जाने): ₹400 (दो लोगों के लिए)
- मथुरा में एक दिन का ठहराव: ₹700
- खाने-पीने का खर्च: ₹200
- लोकल ट्रांसपोर्ट: ₹100
- वृंदावन जाने का किराया: ₹100 (दो लोगों के लिए)
- वृंदावन में ठहराव: ₹1200
- खाने-पीने का खर्च: ₹100
- लोकल ट्रांसपोर्ट: ₹100
कुल खर्च: ₹2900
बजट में यात्रा के टिप्स:
- ट्रेन की टिकट पहले से बुक करें। 2-3 दिन पहले बुकिंग करने पर अच्छा किराया मिल सकता है।
- ठहरने की जगह का चयन सोच-समझकर करें। गेस्ट हाउस या होटल की तस्वीरें देखकर और सुविधाओं की जानकारी लेकर निर्णय लें।
- मथुरा और वृंदावन में शेयर्ड ऑटो या रिक्शा सबसे किफायती विकल्प हैं। ₹10-₹20 में एक जगह से दूसरी जगह जाया जा सकता है।
- होटल के खाने की बजाय ढाबे का खाना आजमाएं। मथुरा और वृंदावन में आलू की कचौड़ी, समोसे और जलेबी बहुत लोकप्रिय हैं।
- मंदिरों के पास ठहरने से ट्रांसपोर्ट का खर्च और समय बचता है।
- मंदिरों में लगने वाले लंगर का आनंद लेना न भूलें।
यह यात्रा मेरे लिए बेहद यादगार रही। अगर आप भी कम बजट में धार्मिक और आध्यात्मिक अनुभव लेना चाहते हैं, तो इस यात्रा कार्यक्रम को जरूर अपनाएं।
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